छायावाद के प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंद पन्त ने नारी शब्द को देवी, माँ, सहचरी और सखी कहकर उसका महत्व बताया ! नारी के प्रति उनके महान शब्द है –यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ! नारी ही इस संसार का मुख्य उद्गम स्त्रोत है ! देवता हो या मानव नारी ही किसी न किसी रूप में जन्म देने वाली बनी है ! हमारे घरो का मुख्य आधार भी नारी ही है ! जब तक किसी घर में नारी का प्रवेश नहीं हो जाता वह घर सही मायनों में घर नहीं कहलाता है.
short essay on "importance of women" in hindi - नारी का महत्त्व?
भारतीय संस्कृति में तो कोई भी यज्ञ, तीर्थ, जप, दान, या अनुष्ठान बिना नारी के अधूरा ही बताया गया है ! नारी जीवन है, आधार है और सम्पूर्ण विश्व को द्रष्टिगोचर रखते हुए इस पर पूरा का पूरा एक ग्रन्थ ही लिख दिया जाये तब भी नारी की महिमा का वास्तविक बखान कर पाना शायद संभव नहीं हो पायेगा ! स्रष्टि की उत्पत्ति के समय से ही नर और नारी एक दुसरे के पूरक है और आज भी समाज नाम की इस गाडी के दो जरूरी पहिये है ! कई बार इसमें पुरुष प्रधान समाज की बात भी सामने आती है और नारी को अबला बता दिया गया है पर गहराई से विचार करे तो ऐसा कही भी प्रतीत नहीं होता है ! आदिकाल से नारी तो नर की अर्धांगिनी कही गयी है ! किन्तु यह भी सत्य ही है की जो महत्व नारी को समाज में मिलना चाहिए वह स्तर नहीं मिल पाया है.
समाज में नारी की दसा?आज के इस दौर में नारी का सम्मान लगातार कम होता जा रहा है ! उसके अधिकारों का हास हो रहा है ! आज के भोगी , लालची और स्वार्थी दानवो ने नारी को व्यतिगत लाभ के लिए कुचल दिया है नारी का महत्त्व उनके लिए नगण्य ही प्रतीत होता है ! द्वापरयुग से लेकर आज तक उसके साथ छल और भेदभाव हुआ है ! नारी ने भी पुरुष की तुलना में स्वयं में जो अंतर पाया उससे दुखी होकर स्वयं को इस दयनीय स्तिथि का कारण मान लिया ! किन्तु फिर भी उसने अपने शील का त्याग न करते हुए बाहरी जगत की इस सत्ता के विरुद्ध संघर्ष करने का निर्णय लिया जो उसकी जिजीविषा को दर्शाता है ! गार्गी, मेत्रियी तथा लीलावती आदि अपने काल की महत्वपूर्ण नारी शख्शियत रही ! इंदिरा गाँधी ने भी अपने जीवन चरित्र से नारी को सक्षम और समर्थ बताया ! पुरुष ने उसे सिर्फ मनोरंजन का माध्यम माना किन्तु कुछ साहित्यकारों ने नारी शक्ति का लगातार महिमामंडन किया ! स्त्री तो ममता की साक्षात् मूर्त है वह किसी भी रूप में असहाय न होकर दात्री ही है.
आजादी के बाद की नारी?स्वाधीन होने के बाद से ही भारतीय नारी के स्तर में व्यापक बदलाव आया है ! शिक्षा के क्षेत्र में उसकी भागीदारी भी बढ़ी है ! गाँवों से अधिक शहरो में वे अपने जीवन स्तर, जागरूकता आदि के प्रति अधिक सक्रिय दिखाई देने लगी है ! आज के दौर की नारी का कार्यक्षेत्र सिर्फ घरो तक सिमित नहीं रह गया है बल्कि वे घरो से बाहर भी दफ्तरों, होटलों, अदालतों, शैक्षणिक संस्थाओ यहाँ तक की देश की संसद तक अच्छी संख्या में दिखाई दे रही है ! आज का जागरूक मीडिया भी महिला अधिकारों की बात कर रहा है तथा उनसे सम्बंधित प्रत्येक मामलो में सराहनीय भूमिका निभा रहा है ! महिला मुक्ति आन्दोलन से लेकर हर क्षेत्र तक उनमे अभूतपूर्व जागरूकता आ गयी है.
भारत में नारी का भविष्य? लगातार परिवर्तन के स्तर से गुजर कर आज की नारी का जीवन स्तर अधिक व्यापक और प्रभावी हो गया है !सिविल सर्विसेज से लेकर देश की शीर्ष अदालतों और लोकसभा अध्यक्ष से लेकर देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति पद तक को नारी शक्ति ने सुशोभित किया है ! आज की नारी अपने आर्थिक और सामाजिक निर्णय लेने में सक्षम हुई है ! वह पुरुष के साथ कंधे से कन्धा मिलकर विकास के सभी क्षेत्रो में बराबर भाग ले रही है ! वो अपने व्यक्तित्व की छाप छोड़ रही है साथ ही परिवार में भी उनकी बात को महत्व मिलने लगा है ! कई मामलो में तो आज की नारी पुरुष को पीछे छोड़कर हर परिवार की कर्ता बन रही है जो इनकी सुखद स्तिथि को दर्शाता है ! हमारी सरकारों ने भी नारी शक्ति के इस प्रभावी रूप को समझा है ! आज लगातार बालिकाओ के शिक्षा, स्वास्थ्य की और कदम उठाये जा रहे है ! देश और राज्य सरकारे भी कई प्रकार की कल्याणकारी योजनाये इनके हित में ला रही है और उनका लगातार मूल्यांकन भी हो रहा है इससे कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध कम हुए है तथा देश में लिंगानुपात के आंकड़े भी बढ़ने लगे है ! इस प्रकार नारी की वर्तमान स्तिथि को देखते हुए कहा जा सकता है की भारतीय नारी का भविष्य अत्यन ही उज्जवल है.
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